✍️ भाग–1 : प्रस्तावना और F.O.C.U.S पद्धति का परिचय
प्रस्तावना
विज्ञान को केवल किताबों में पढ़ना और परिभाषाएँ याद कर लेना पर्याप्त नहीं है। विज्ञान का असली स्वरूप “देखना, परखना और अनुभव करना” है। जब बच्चा किसी घटना को अपनी आँखों से देखता है, हाथों से प्रयोग करता है और दिमाग से समझता है, तभी वह ज्ञान स्थायी होता है।
ग्रामीण और परिषदीय विद्यालयों में अक्सर यह समस्या देखी जाती है कि बच्चों के पास संसाधन कम होते हैं, प्रयोगशालाएँ सीमित होती हैं, और महंगे उपकरण उपलब्ध नहीं होते। ऐसे में विज्ञान पढ़ाना केवल किताबों तक सीमित रह जाता है। परिणामस्वरूप, बच्चों में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा और उत्साह धीरे-धीरे कम होने लगता है।
इसी समस्या का समाधान है – विज्ञान किट (Science Kit)। यह एक ऐसा साधन है, जिसमें रोज़मर्रा की वस्तुओं और सरल उपकरणों को इकट्ठा करके ऐसे प्रयोग किए जा सकते हैं जो बच्चों को वैज्ञानिक अवधारणाओं को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव कराते हैं।
लेकिन केवल विज्ञान किट देना काफी नहीं है। जरूरत है इसे सही शिक्षण पद्धति के साथ उपयोग करने की। और यहाँ काम आता है – F.O.C.U.S पद्धति।
F.O.C.U.S पद्धति का परिचय
F.O.C.U.S पद्धति का अर्थ है –
- F – Find (खोजें)
- O – Observe (अवलोकन करें)
- C – Connect (जोड़ें)
- U – Use (प्रयोग करें)
- S – Share (साझा करें)
यह पद्धति बच्चों को केवल श्रोता नहीं बल्कि सक्रिय सहभागी बनाती है।
🔹 F – Find (खोजें)
बच्चे प्रश्न पूछें, समस्याएँ ढूँढें और यह जानने की कोशिश करें कि क्या जानना है। जैसे – क्या चुंबक सब चीज़ों को खींचता है? बीज क्यों अंकुरित होते हैं?
🔹 O – Observe (अवलोकन करें)
बच्चे प्रयोग के दौरान ध्यान से देखें, गंध, रंग, गति, प्रकाश जैसी चीज़ों का निरीक्षण करें।
🔹 C – Connect (जोड़ें)
जो देखा उसे किताब, अपने जीवन और वातावरण से जोड़ें। जैसे – “बैटरी से बल्ब जलता है, वैसे ही घर में बिजली से पंखा चलता है।”
🔹 U – Use (प्रयोग करें)
जो सीखा उसे आगे प्रयोग में लाएँ। जैसे – स्थानीय संसाधनों से टॉर्च बनाना, जल शोधन का मॉडल बनाना।
🔹 S – Share (साझा करें)
बच्चे अपने अनुभव दूसरों को बताएँ – समूह चर्चा, दीवार पत्रिका, या कक्षा प्रस्तुति के रूप में।

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