घर पर गमले में पपीता का पेड़ कैसे उगाएं तथा सावधानियां

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How to grow papaya from seeds/पपीते को घर पर तथा गमले में कैसे उगाएं/how to grow papaya at home in pot/What are the medicinal properties of papaya/ पपीता के औषधीय गुण क्या हैं। /नर और मादा पपीते की क्या पहचान है?/तथा पपीते के पेड़ की देखभाल कैसे करें।

Papaya tree

पपीते के औषधीय गुण

एक गमले में पपीते का पेड़ लगाने की विधि जानने से पहले हम सब पपीते के औषधीय गुण के बारे में बात करेंगे। 

पपीते में अनेकों प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते है। पपीता (Papaya) एक बहुत ही गुणकारी फल है, जिसे आयुर्वेद में औषधि माना गया है। इसके फल, पत्ते, बीज और लेटेक्स (दूध) सभी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इसके मुख्य औषधीय गुण इस प्रकार हैं:

🍃 पपीते के औषधीय गुण

1. पाचन शक्ति में सुधार

  • पपीते में पेपेन (Papain) नामक एंज़ाइम होता है, जो भोजन को आसानी से पचाने में मदद करता है।
  • कब्ज दूर करता है और आंतों को साफ रखता है
2. रक्त शुद्धिकरण
  • इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन A, C और E प्रचुर मात्रा में होते हैं।
  • रक्त को शुद्ध करता है और त्वचा को निखारता है।
3. यकृत (Liver) के लिए लाभकारी
  • पपीते के पत्तों का रस लिवर को मज़बूत बनाता है।
  • पीलिया और अन्य लीवर संबंधी रोगों में सहायक।
4. डेंगू और मलेरिया में उपयोगी
  • पपीते के पत्तों का रस प्लेटलेट्स बढ़ाने में सहायक माना जाता है।
  • बुखार और कमजोरी कम करता है।
5. हृदय स्वास्थ्य
  • इसमें पोटैशियम होता है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है।
  • कोलेस्ट्रॉल को कम कर हृदय रोगों से बचाव करता है।
6. मधुमेह (Diabetes) में लाभकारी
  • कच्चे पपीते और पत्तियों का सेवन शुगर लेवल को संतुलित रखने में सहायक।
7. त्वचा और सौंदर्य के लिए
  • पपीते का गूदा चेहरे पर लगाने से झुर्रियाँ और मुहाँसे कम होते हैं।
  • त्वचा को मुलायम और चमकदार बनाता है।
8. स्त्री रोगों में उपयोगी
  • मासिक धर्म की अनियमितता और दर्द में कच्चा पपीता लाभकारी माना जाता है।
9. कैंसर से बचाव
  • इसमें लाइकोपीन और बीटा-कैरोटीन पाए जाते हैं, जो कैंसररोधी गुण रखते हैं।
10. कीड़े मारने वाला (Anthelmintic)
  • पपीते के बीज आंतों के कीड़े निकालने में सहायक।

⚠️ सावधानी:

  • गर्भावस्था में कच्चा पपीता और उसका लेटेक्स हानिकारक हो सकता है।
  • अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट में गैस या दस्त हो सकते हैं।

नर और मादा पपीते की पहचान कैसे करें

पपीते में नर (Male) और मादा (Female) पौधों की पहचान करना ज़रूरी है क्योंकि फल केवल मादा पौधे पर ही आते हैं। कभी-कभी कुछ पौधे उभयलिंगी (Hermaphrodite) भी होते हैं, जिनमें नर और मादा दोनों गुण होते हैं।

🌱 नर और मादा पपीते की पहचान

1.फूल से पहचान

  • नर पपीता (Male Plant):
  • फूल गुच्छों (clusters) में लटके रहते हैं।
  • डंठल (stem) लंबा होता है और फूल दूर-दूर पर लगे होते हैं।
  • इन फूलों से फल नहीं बनता।
  • मादा पपीता (Female Plant):
  • फूल तने (stem) के पास ही निकलते हैं।
  • फूल आकार में बड़े और मोटे होते हैं।
  • इनमें अंडाशय (ovary) होता है, इसलिए इन्हीं से फल बनता है।

2.फूल का आकार

  • नर फूल: छोटे, लम्बे और पतले।
  • मादा फूल: बड़े, गोल और मोटे।

3.फलन (Fruiting)

  • नर पौधा: केवल पराग (pollen) देता है, फल नहीं आता।
  • मादा पौधा: नर पौधे के पराग से गर्भाधान होने पर फल देता है।

4.उभयलिंगी (Hermaphrodite) पौधे

  • इनमें नर और मादा दोनों लक्षण होते हैं।
  • फूलों में परागकण और अंडाशय दोनों पाए जाते हैं।
  • ऐसे पौधे बिना दूसरे पौधे के भी फल दे सकते हैं।

👉 खेती में अच्छा उत्पादन पाने के लिए किसान 1 नर पौधे को 10–15 मादा पौधों के बीच रखते हैं ताकि परागण आसानी से हो सके।

पपीते को घर पर तथा गमले में उगाने की विधि

पपीते को घर पर, छत पर गमले में भी उगाया जा सकता है। मैं आपको पपीते के पेड़ के बारे में और घर पर गमले में इसे उगाने की पूरी जानकारी दूँगा, जिसमें गमले का आकार और आवश्यक पोषण (खाद और उर्वरक) शामिल होंगे।


🌿 पपीते का पेड़ (Carica papaya)

  • मूल स्थान: दक्षिण अमेरिका
  • प्रकृति: यह असली पेड़ नहीं बल्कि एक तेज़ी से बढ़ने वाला, कोमल तना वाला पौधा है।
  • ऊँचाई:
    • ज़मीन में: 10–15 फीट
    • गमले में: 6–10 फीट
  • फल: हरा कच्चा, पीला/नारंगी पका हुआ, अंदर मीठा नारंगी गूदा और काले बीज।
  • जीवनकाल: 3–5 साल (पहले 2–3 साल में सबसे ज्यादा फल)।

🪴 गमले में पपीता उगाना

1.गमले का आकार

  • क्षमता: कम से कम 50–60 लीटर (13–16 गैलन)
  • चौड़ाई: 20–24 इंच (50–60 सेमी)
  • गहराई: 18–20 इंच (45–50 सेमी)
  • सामग्री: प्लास्टिक या मिट्टी का गमला, नीचे अच्छे ड्रेनेज होल होने चाहिए।

2.मिट्टी का मिश्रण

  • अनुपात:
    • 2 भाग बगीचे की मिट्टी
    • 1 भाग अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद (compost)
    • 1 भाग मोटी रेत (ड्रेनेज के लिए)
  • pH लगभग 6–6.5 रखना अच्छा है।

3.धूप की आवश्यकता

  • रोज़ाना 6–8 घंटे सीधी धूप जरूरी है।
  • छाँव में फल कम लगेंगे और पौधा कमजोर होगा।

4.सिंचाई (Watering)

  • मिट्टी हल्की नम रखें, लेकिन पानी भरने न दें (जड़ सड़ सकती है)।
  • गर्मियों में रोज़ाना, सर्दियों में 2–3 दिन में एक बार।

5.पोषण (Nutrients)

A. जैविक खाद (Organic Manure)

  • हर 30 दिन में: 1–2 किलो सड़ी हुई गोबर की खाद।
  • 15 दिन में एक बार: 500 ग्राम वर्मीकम्पोस्ट।

B. रासायनिक उर्वरक (Chemical Fertilizers)

  • NPK (10:10:10) – हर 30 दिन में 30–40 ग्राम।
  • फूल आने के समय पोटाश (MOP) 20–25 ग्राम, ताकि फल मीठे और बड़े हों।
  • माइक्रोन्यूट्रिएंट (जैसे ज़िंक, आयरन) साल में 2–3 बार दें।

6.अन्य देखभाल

  • गमले में एक ही पौधा रखें, ताकि पोषण में प्रतिस्पर्धा न हो।
  • तेज़ हवा से बचाएँ, ज़रूरत पड़े तो डंडी से सहारा दें।
  • रोग से बचाव के लिए 15 दिन में एक बार नीम का तेल छिड़कें।

हाँ, पपीते को गमले में सफलतापूर्वक उगाने के लिए कुछ और सुझाव भी हैं, जो आपके पौधे को ज्यादा स्वस्थ और फलदार बना सकते हैं—


🌱 अतिरिक्त सुझाव

  1. बीज का चयन:
  • ताज़े, पके और मीठे पपीते के बीज लें।
  • बीज धोकर सुखा लें और तुरंत बोएँ, इससे अंकुरण अच्छा होगा।
  • बेहतर होगा कि आप हर्माफ्रोडाइट किस्म चुनें, जिसमें फूल और फल एक ही पौधे पर आते हैं।
  1. बीज रोपण समय:

    • गर्म इलाकों में पूरे साल बो सकते हैं, लेकिन फरवरी–मार्च या जुलाई–अगस्त सबसे अच्छे महीने हैं।
  2. अंकुरण के बाद पौधों का चयन:

    • जब पौधे 6–8 पत्ते वाले हो जाएँ, तो सबसे मजबूत पौधा गमले में रखें, बाकी हटा दें।
  3. पानी देने का तरीका:

    • सुबह या शाम को ही पानी दें।
    • गर्मियों में हल्का-हल्का रोज़, सर्दियों में 2–3 दिन में एक बार।
  4. पत्तों की सफाई:

    • पीले या सूखे पत्ते समय-समय पर हटा दें, इससे पौधे की ऊर्जा फल बनाने में लगेगी।
  5. फल गिरने से बचाव:

    • फूल और छोटे फल गिरने से रोकने के लिए पोटाश और माइक्रोन्यूट्रिएंट समय पर दें।
  6. कीट और रोग नियंत्रण:

    • एफिड्स, मिली बग, और फफूंद से बचाने के लिए 15 दिन में एक बार नीम का तेल छिड़कें।
    • पत्तों पर सफेद धब्बे दिखें तो फफूंदनाशक का हल्का छिड़काव करें।
  7. परागण (Pollination):

    • अगर फूलों से फल नहीं बन रहे हैं तो सुबह-सुबह नर फूल से मादा फूल में ब्रश या रुई से पराग डालें।
  8. गमले की जगह बदलना:

    • पौधा धूप में रहे, लेकिन तेज़ गर्म हवाओं और बारिश में गमले को किसी सुरक्षित जगह पर रखें।
  9. जीवनकाल प्रबंधन:

    • पपीते का उत्पादन 3 साल बाद घट जाता है, इसलिए हर 2–3 साल में नया पौधा लगा लें।

📋 गमले में पपीता उगाने का चार्ट

चरण विवरण
1. बीज का चयन पके, मीठे पपीते के ताज़े बीज लें, धोकर सुखाएँ, तुरंत बोएँ।
2. गमले का आकार क्षमता 50–60 लीटर, चौड़ाई 20–24 इंच, गहराई 18–20 इंच, नीचे 4–6 ड्रेनेज होल।
3. मिट्टी मिश्रण 2 भाग बगीचे की मिट्टी + 1 भाग गोबर की खाद + 1 भाग मोटी रेत (pH 6–6.5)।
4. बीज बुवाई समय फरवरी–मार्च या जुलाई–अगस्त सबसे अच्छा।
5. धूप रोज़ाना 6–8 घंटे सीधी धूप।
6. पानी देना गर्मियों में रोज़ाना हल्का पानी, सर्दियों में 2–3 दिन में एक बार।
7. पौध चयन अंकुरण के बाद सबसे मजबूत 1 पौधा गमले में रखें, बाकी हटा दें।
8. खाद और उर्वरक हर 30 दिन: 1–2 किलो गोबर खाद; 15 दिन में 500 ग्राम वर्मीकम्पोस्ट; NPK 10:10:10 – 30–40 ग्राम; फूल आने पर 20–25 ग्राम पोटाश।
9. कीट/रोग नियंत्रण 15 दिन में एक बार नीम तेल का छिड़काव; फफूंद के लिए हल्का फफूंदनाशक।
10. परागण फूल से फल बनने में मदद के लिए नर फूल से मादा फूल में ब्रश से पराग डालें।
11. फलने का समय 6–9 महीने में फल लगना शुरू, 2–3 साल तक अच्छा उत्पादन।
12. पौधे का नवीनीकरण 3 साल बाद नया पौधा लगाएँ ताकि लगातार फल मिलते रहें।


SHAKTI PRAKASH

Shakti Prakash is an elementary school teacher from Uttar Pradesh, India and additionally contributing his effort in educational blogs through the website VS Educations

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