चौथे स्थान की जीडीपी वाले देश भारत में बेरोजगारी क्यों?

चौथे स्थान की जीडीपी वाले देश भारत में बेरोजगारी क्यों?

भारत आज GDP में चौथे स्थान पर है (लगभग $4 ट्रिलियन), लेकिन ज़मीन पर आम नागरिक को उतना लाभ क्यों नहीं दिखता?
लोगों को रोजगार मिल नहीं रहा है, हैप्पीनेस इंडेक्स खराब है, पढ़ाई के बाद रोजगार की गारंटी नहीं है, नए कर्मचारी को OPS नहीं मिल रहा है, शिक्षा व्यवस्था खराब है। आखिर देश का पैसा जा कहां रहा है?

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आइए इसे बिंदुओं में समझते हैं —


1. GDP बड़ा, लेकिन रोजगार छोटा क्यों?

  • भारत की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र (IT, Finance, etc.) का योगदान लगभग 50% से ज्यादा है।
    👉 इसमें कम लोग काम करते हैं, लेकिन बहुत अधिक पैसा पैदा होता है।
  • कृषि क्षेत्र में 40% से अधिक लोग काम करते हैं, लेकिन उसका GDP योगदान सिर्फ 15–16% है।
    👉 मतलब ज़्यादा लोग, कम कमाई।
  • निर्माण और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोज़गार क्षमता अधिक है, लेकिन भारत अभी वहाँ चीन जैसा मज़बूत नहीं बन पाया।

📌 नतीजा: GDP तो बढ़ा, लेकिन रोज़गार उतनी तेजी से नहीं बढ़ा।


2. कुशलता (Skills) और शिक्षा व्यवस्था की कमजोरी

  • भारत में अभी भी बहुत बड़ी आबादी अनस्किल्ड (अकुशल) है।
  • शिक्षा व्यवस्था में असमानता:
    • सरकारी स्कूलों की हालत खराब
    • निजी स्कूल और कोचिंग महंगे
    • कॉलेजों में भी उद्योग (industry) के हिसाब से पढ़ाई नहीं होती
  • इसलिए लोग डिग्री तो ले लेते हैं, पर नौकरी के लिए आवश्यक व्यावहारिक कौशल (practical skills) नहीं सीख पाते।

📌 नतीजा: कंपनियों के पास नौकरियां होती हैं, लेकिन योग्य लोग नहीं मिलते।


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3. बेरोजगारी क्यों बनी रहती है?

  • जनसंख्या का दबाव: हर साल करोड़ों लोग नौकरी की कतार में जुड़ते हैं।
  • ऑटोमेशन और AI: फैक्ट्री और कंपनियों में मशीनें इंसानों की जगह ले रही हैं।
  • छोटे उद्योगों का पिछड़ना: बड़ी कंपनियां (अक्सर विदेशी) बाजार पर हावी हो जाती हैं, छोटे उद्योग टिक नहीं पाते।

4. भारत के पास GDP भी है और कर्ज भी क्यों? पैसा कहां जा रहा है?

  • भारत की GDP का बड़ा हिस्सा विदेशी कंपनियों का मुनाफा बनकर बाहर चला जाता है (GNP-GDP का फर्क)।
  • सरकार को जो टैक्स मिलता है, उसका बड़ा हिस्सा जाता है:
    • सब्सिडी और सामाजिक योजनाओं पर
    • कर्ज़ का ब्याज चुकाने में
    • प्रशासनिक खर्चों में
  • भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन भी पैसा खा जाते हैं।
  • रक्षा और आयात (तेल, गैस, इलेक्ट्रॉनिक्स) पर भी भारत बहुत पैसा खर्च करता है।

5. शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त क्यों?

  • बजट का बहुत छोटा हिस्सा (लगभग 2.9% GDP) शिक्षा पर खर्च होता है।
  • सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता कमजोर, टीचरों की ट्रेनिंग और जवाबदेही कम।
  • उच्च शिक्षा में निजीकरण इतना बढ़ गया कि अमीर ही अच्छे कॉलेज ले सकते हैं।
  • परिणाम: Mass unemployment + Low skills का चक्र चलता रहता है।

📌 निष्कर्ष

भारत की GDP बड़ी है ✅ लेकिन आम जनता की स्थिति इसलिए नहीं सुधर रही क्योंकि:

  1. रोज़गार पैदा करने वाले सेक्टर उतने मज़बूत नहीं हैं।
  2. शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट कमजोर हैं।
  3. विदेशी कंपनियां और आयात पूंजी बाहर खींच लेते हैं।
  4. सरकारी खर्च का बड़ा हिस्सा कर्ज़ चुकाने और गैर-उत्पादक क्षेत्रों में जाता है।

👉 इसलिए केवल “GDP में चौथे नंबर पर होना” पर्याप्त नहीं है।
असल सुधार तब होगा जब:

  • शिक्षा और स्किल पर बड़ा निवेश हो,
  • मैन्युफैक्चरिंग और कृषि मूल्य-वृद्धि (value addition) बढ़े,
  • छोटे और मध्यम उद्योग मजबूत हों,
  • और विदेशी कंपनियों की बजाय भारतीय कंपनियां वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ें।

समाधान

भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (GDP) है, लेकिन आम नागरिक को अक्सर लगता है कि उनके जीवन में यह "आर्थिक ताक़त" दिखाई नहीं देती। इसका मुख्य कारण है – असमानता, शिक्षा की कमजोरी, कौशल की कमी, और संसाधनों का सही उपयोग न होना

समाधान कई स्तरों पर संभव है:


1. शिक्षा व्यवस्था का सुधार

  • प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक गुणवत्ता पर ज़ोर देना (केवल डिग्री नहीं, असल ज्ञान और कौशल)।
  • स्किल-बेस्ड शिक्षा (जैसे डिजिटल स्किल्स, तकनीकी काम, उद्यमिता, AI, ग्रीन एनर्जी) जिससे युवा तुरंत काम पा सकें।
  • कृषि और ग्रामीण शिक्षा में आधुनिक तरीकों का समावेश, ताकि किसान भी उत्पादन और आय बढ़ा सकें।

2. रोज़गार के अवसर

  • सरकार और निजी कंपनियों को MSME (छोटे और मझोले उद्योग) को बढ़ावा देना होगा। यही सबसे ज़्यादा रोजगार देते हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग स्थापित करना ताकि शहरों पर बोझ न बढ़े और पलायन रुके।
  • स्टार्टअप और उद्यमिता को आसान ऋण और बाज़ार उपलब्ध कराकर प्रोत्साहित करना।

3. असमानता पर नियंत्रण

  • अमीर-गरीब की खाई कम करने के लिए कर प्रणाली (Tax system) और सामाजिक योजनाओं को और पारदर्शी बनाना।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य और शिक्षा को मज़बूत बनाना ताकि गरीब परिवार को बचत और तरक्की का मौका मिले।

4. कृषि क्षेत्र का पुनरुद्धार

  • किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए मूल्य संवर्धन (Food Processing, Export) को बढ़ावा देना।
  • सिंचाई, बीज, तकनीक, भंडारण जैसी बुनियादी चीज़ें उपलब्ध कराना।
  • किसान को केवल उत्पादक नहीं, बल्कि उद्यमी बनाना।

5. भ्रष्टाचार और लीकेज पर रोक

  • योजनाओं का पैसा सीधे जनता तक पहुँचे (जैसे DBT – Direct Benefit Transfer से हुआ है)।
  • सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही।

👉 सरल शब्दों में:
भारत के पास पैसा है, लेकिन वह समान रूप से वितरित नहीं हो पा रहा।
अगर शिक्षा, कौशल और पारदर्शी सिस्टम बने, तो वही GDP सीधे आम जनता की जेब में "रोज़गार और बेहतर जीवन" के रूप में दिखेगी।

भारत की जीडीपी साइज में बड़ी है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि सबको पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण रोजगार मिल रहा है। इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं:

🔎 क्यों जीडीपी बड़ी होने के बावजूद रोजगार कम है?

  1. सेवा क्षेत्र पर अधिक निर्भरता – भारत की जीडीपी में IT, बैंकिंग, सर्विस सेक्टर का बड़ा योगदान है, जो उच्च कौशल वाले सीमित लोगों को ही रोजगार देता है।
  2. उद्योग और निर्माण (Manufacturing) का कम योगदान – चीन जैसे देशों की तुलना में भारत में मैन्युफैक्चरिंग से रोज़गार कम निकलता है।
  3. शिक्षा और कौशल की कमी – शिक्षा प्रणाली उद्योगों की मांग के अनुसार कुशल श्रमिक तैयार नहीं कर पा रही।
  4. अनौपचारिक रोजगार – भारत की बड़ी आबादी असंगठित क्षेत्र (कृषि, दिहाड़ी, छोटे काम) में है, जहाँ आय अस्थिर और कम है।
  5. जनसंख्या का दबाव – हर साल करोड़ों लोग नौकरी की कतार में आते हैं, जबकि नई नौकरियां उतनी नहीं बन पातीं।

✅ समाधान (नीतिगत + सामाजिक)

  1. शिक्षा सुधार – प्रैक्टिकल शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा (Vocational Training) और कौशल विकास को बढ़ावा।
  2. मैन्युफैक्चरिंग पर जोर – “मेक इन इंडिया” जैसे अभियान को ज़मीनी स्तर पर मजबूत करना।
  3. कृषि सुधार – किसानों को आधुनिक तकनीक, बेहतर मार्केट एक्सेस और वैल्यू-ऐडेड उद्योग (जैसे खाद्य प्रसंस्करण) से जोड़ना।
  4. उद्यमिता को बढ़ावा – स्टार्टअप्स, छोटे उद्योगों, स्वरोजगार के लिए आसान लोन और कम ब्याज।
  5. सरकारी निवेश – इन्फ्रास्ट्रक्चर (सड़क, बिजली, पानी, डिजिटल) में निवेश करके रोजगार पैदा करना।
  6. निजी क्षेत्र और विदेशी निवेश का संतुलन – ताकि कंपनियां सिर्फ मुनाफा न कमाएं, बल्कि स्थानीय रोजगार भी दें।

👉 मतलब: भारत की जीडीपी की ऊँचाई आम जनता के जीवन में तभी उतर सकती है जब शिक्षा + रोजगार सृजन + मैन्युफैक्चरिंग + कृषि सुधार साथ-साथ चलें।

SHAKTI PRAKASH

Shakti Prakash is an elementary school teacher from Uttar Pradesh, India and additionally contributing his effort in educational blogs through the website VS Educations

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