अनंत ब्रह्मांड की संकल्पना को विज्ञान कहां तक सार्थक मानता है?

अनंत ब्रह्मांड की संकल्पना को विज्ञान कहां तक सार्थक मानता है?

“अनंत ब्रह्मांड” (Infinite Universe / Multiverse) की संकल्पना को लेकर विज्ञान में अलग–अलग स्तरों पर चर्चा और परिकल्पनाएं चल रही हैं। आइए सरल ढंग से समझते हैं कि विज्ञान इसे कहां तक सार्थक मानता है:

अनंत ब्रह्मांड

1. प्रेक्षणीय ब्रह्मांड (Observable Universe)

  • हमारी दृष्टि और उपकरणों से हम केवल लगभग 93 अरब प्रकाशवर्ष व्यास का ही ब्रह्मांड देख पा रहे हैं।
  • कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड (CMB) बताता है कि इससे बाहर भी विस्तार हो रहा है।
    👉 विज्ञान मानता है कि जो हम देख रहे हैं, उससे बाहर का ब्रह्मांड काफी बड़ा है, शायद अनंत भी।

2. समानांतर/अनंत ब्रह्मांड (Cosmological Multiverse)

  • Inflation Theory (Alan Guth, Andrei Linde) के अनुसार बिग बैंग के तुरंत बाद हुए तेज़ विस्तार ने “बबल यूनिवर्स” बनाए होंगे।
  • हर बबल अलग-अलग भौतिक नियमों और कॉन्स्टेंट्स के साथ अपना-अपना ब्रह्मांड हो सकता है।
    👉 यह विचार गंभीर वैज्ञानिक मॉडल के रूप में चर्चित है, लेकिन प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं हैं।

3. क्वांटम मल्टीवर्स (Quantum Multiverse)

  • क्वांटम मैकेनिक्स के Many Worlds Interpretation (Hugh Everett) के अनुसार हर घटना कई संभावनाओं में बंट जाती है, और हर संभावना में एक अलग ब्रह्मांड बन जाता है।
    👉 यह एक दार्शनिक और गणितीय व्याख्या है, इसे प्रयोगात्मक रूप से सिद्ध नहीं किया जा सका है।

4. गणितीय व दार्शनिक दृष्टिकोण

  • गणितीय रूप से “अनंत ब्रह्मांड” सम्भव है, परंतु विज्ञान प्रमाण चाहता है।
  • अभी तक कोई सीधा प्रयोग/अवलोकन ऐसा नहीं है जो अनंत ब्रह्मांड या समानांतर ब्रह्मांडों को पुष्टि करता हो।

5. विज्ञान कहां तक मानता है?

✔️ प्रेक्षणीय ब्रह्मांड के बाहर भी बहुत कुछ है—यह विज्ञान मानता है।
✔️ कॉस्मिक इन्फ्लेशन और गणितीय मॉडल “अनंत” या “मल्टीवर्स” की दिशा में इशारा करते हैं।
❌ लेकिन प्रत्यक्ष प्रमाण (Direct Evidence) नहीं है, इसलिए अभी यह परिकल्पना (Hypothesis) के स्तर पर है, पूर्ण सिद्धांत नहीं।


👉 संक्षेप में:
विज्ञान मानता है कि हमारा ब्रह्मांड अकेला नहीं भी हो सकता, बल्कि अनंत या अनेक ब्रह्मांड हो सकते हैं। लेकिन यह विचार तर्कसंगत और गणितीय रूप से सम्भव है, पर अभी अवलोकन या प्रयोगात्मक प्रमाण के अभाव में “अनंत ब्रह्मांड” को विज्ञान ने अंतिम सत्य घोषित नहीं किया है।


हर ब्रह्मांड का अपना अपना बिग बैंग था या सभी ब्रह्मांड एक ही बिग बैंग से बने होंगे?

विज्ञान में इस पर दो मुख्य दृष्टिकोण पाए जाते हैं, जो अलग-अलग “मल्टीवर्स” परिकल्पनाओं पर आधारित हैं:


1. सभी ब्रह्मांड एक ही बिग बैंग से बने (Single-Origin View)

  • कुछ सिद्धांत मानते हैं कि हमारा “मल्टीवर्स” एक ही कॉस्मिक इन्फ्लेशन घटना से निकला।
  • उस एक ही बिग बैंग जैसे विस्तार ने अनेक “बबल यूनिवर्स” बनाए, जैसे साबुन के झाग में एक-एक बुलबुला।
  • यानी एक ही मूल (Mother Big Bang) से अलग-अलग हिस्सों में स्वतंत्र “लोकल बिग बैंग” जैसी स्थितियाँ बनीं।

👉 इसमें “बिग बैंग” एक था, लेकिन उसके अन्य परिणामस्वरूप उप-ब्रह्मांड बने।


2. हर ब्रह्मांड का अपना-अपना बिग बैंग (Independent-Origin View)

  • Eternal Inflation Theory (Andrei Linde) के अनुसार इन्फ्लेशन कभी पूरी तरह रुकता नहीं।
  • एक क्षेत्र में इन्फ्लेशन रुककर बिग बैंग होता है और वहां एक ब्रह्मांड जन्म लेता है, लेकिन दूसरे क्षेत्र में इन्फ्लेशन जारी रहता है।
  • इस तरह हर ब्रह्मांड का अलग बिग बैंग हुआ/हो रहा है और होते रहेंगे।

👉 इसका मतलब, हमारा बिग बैंग सिर्फ हमारे “लोकल यूनिवर्स” का जन्म था।


3. क्वांटम व्याख्या (Many Worlds)

  • यहाँ “बिग बैंग” का प्रश्न थोड़ा बदल जाता है।
  • हर क्वांटम घटना पर ब्रह्मांड विभाजित होता है, इसलिए यहाँ “एक ही बिग बैंग” था, लेकिन उससे लगातार संभावनाओं के हिसाब से नई शाखाएँ निकलती हैं।

विज्ञान अभी किसे मानता है?

  • कॉस्मोलॉजी (Inflationary Model) में अधिकतर वैज्ञानिक मानते हैं कि अन्य ब्रह्मांडों के अपने-अपने बिग बैंग हो सकते हैं
  • यानी हमारा बिग बैंग एक “लोकल घटना” थी, पूरे अस्तित्व का “एकमात्र” प्रारंभ नहीं।

👉 संक्षेप में:
यदि मल्टीवर्स वास्तविक है, तो बहुत सम्भावना है कि हर ब्रह्मांड का अपना-अपना बिग बैंग हुआ हो।
हमारा बिग बैंग “यूनिवर्सल” नहीं बल्कि सिर्फ हमारे इस ब्रह्मांड का “लोकल जन्म” था।


क्या अभी भी वही बिग बैंग जारी है तथा बिग बैंग के केंद्र से नए ब्रह्मांड बन रहे हैं तथा सुदूर ब्रह्मांड नष्ट हो रहा है? क्या ऐसा है?

यह जो कल्पना की है — कि “एक केंद्र है जहां से लगातार नए ब्रह्मांड बन रहे हैं और दूर वाले ब्रह्मांड नष्ट हो रहे हैं” — यह बहुत सहज और दार्शनिक सोच है 🌌। लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण इससे थोड़ा अलग है।


1. बिग बैंग का “केंद्र” नहीं होता

  • हमारे ब्रह्मांड के मॉडल (General Relativity + Cosmology) के अनुसार बिग बैंग किसी एक बिंदु या केंद्र से “बाहर की ओर विस्फोट” नहीं था।
  • बल्कि पूरा अंतरिक्ष-समय (space-time) एक साथ फैलना शुरू हुआ
  • इसलिए ब्रह्मांड का कोई “केंद्र” नहीं है; हर जगह से हर जगह फैलाव दिखाई देता है।

2. क्या बिग बैंग अभी भी जारी है?

  • हाँ, एक अर्थ में बिग बैंग का विस्तार अभी भी जारी है
  • हम इसे “Cosmic Expansion” कहते हैं। आकाशगंगाएँ एक-दूसरे से दूर जा रही हैं और डार्क एनर्जी के कारण यह विस्तार तेज़ (accelerating) होता जा रहा है।
    👉 तो आप यह कह सकते हैं कि “बिग बैंग रुका नहीं, आज भी चल रहा है।”

3. नए ब्रह्मांड बन रहे हैं?

  • Eternal Inflation Theory के अनुसार, अंतरिक्ष के कुछ क्षेत्र अभी भी इन्फ्लेट हो रहे हैं।
  • जहाँ इन्फ्लेशन रुकता है, वहाँ नया “लोकल बिग बैंग” होता है और एक नया ब्रह्मांड जन्म लेता है।
    👉 इसका मतलब: अलग-अलग “बबल यूनिवर्स” बनते रहते हैं।

4. पुराने या सुदूर ब्रह्मांड नष्ट हो रहे हैं?

  • हमारे पास ऐसा कोई प्रमाण नहीं कि अन्य ब्रह्मांड “नष्ट” होते हैं।
  • हाँ, हमारा अपना ब्रह्मांड भविष्य में “Heat Death” (सारी ऊर्जा फैलकर संतुलित हो जाना), “Big Crunch” (वापस सिकुड़ना), या “Big Rip” (डार्क एनर्जी से फट जाना) जैसे संभावित अंतों की ओर जा सकता है।
  • लेकिन “सुदूर ब्रह्मांड खत्म हो रहे हैं और नए बन रहे हैं” वाला मॉडल अभी तक वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं है।

संक्षेप में:

  • बिग बैंग का कोई केंद्र नहीं है।
  • उसका फैलाव आज भी जारी है।
  • मल्टीवर्स सिद्धांत के अनुसार अलग-अलग जगह नए ब्रह्मांड जन्म ले सकते हैं।
  • पुराने ब्रह्मांड नष्ट हो रहे हैं, ऐसा प्रत्यक्ष वैज्ञानिक प्रमाण अभी नहीं है।

SHAKTI PRAKASH

Shakti Prakash is an elementary school teacher from Uttar Pradesh, India and additionally contributing his effort in educational blogs through the website VS Educations

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